कति धेरै गितार, कति
थोरै सङ्गीत,
कति धेरै जिब्रा,
कति थोरै भनाई।
कति धेरै गिदी, कति
थोरै सोच,
कति धेरै हात, कति
थोरै रचना।
कति धेरै दृष्टि,
कति थोरै दृष्टिकोण,
कति धेरै कुरा, कति
थोरै अठोट।
कति धेरै चाहना, कति
थोरै बलिया चाहना!
कति धेरै शब्द, कति
थोरै अर्थ,
कति धै खुट्टा, कति
थोरै गन्तव्य,
कति धेरै नारी, कति
थोरै सुन्दरता,
कति धेरै तर्कना, कति
थोरै कलपना।
कति धेरै चाहना, कति
थोरै बलिया चाहना!
कति धेरै घमण्ड, कति
थोरै हाँसो,
कति धेरै ईर्ष्या,
कति धेरै चासो!
कति धेरै ग्यान, कति
थोरै बुझाई,
कति धेरै शिक्छ्यक,
कति थोरै सिकाई।
कति धेरै नेता, कति
थोरै नेतृत्व,
कति धेरै पढाई, कति
थोरै गराई!
कति धेरै धन, कति
थोरै मन,
कति धेरै पैसा, कति
थोरै मोल।
कति धेरै चाहना, कति
थोरै बलिया चाहना!
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